Friday, April 11, 2014

"वो अक्सर तंज़ करते हैं कि रस्म ऐ उल्फत की अदायगी
 हमारे बस की बात नहीं हम कैसे उन्हें बताये कि
 रस्म ऐ उल्फत तो हम निभा ही  रहे हैं क्योंकि
अब उन्हें  भुला पाना भी हमारे बस की बात नहीं " 

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