"वो अक्सर तंज़ करते हैं कि रस्म ऐ उल्फत की अदायगी
हमारे बस की बात नहीं हम कैसे उन्हें बताये कि
रस्म ऐ उल्फत तो हम निभा ही रहे हैं क्योंकि
अब उन्हें भुला पाना भी हमारे बस की बात नहीं "
हमारे बस की बात नहीं हम कैसे उन्हें बताये कि
रस्म ऐ उल्फत तो हम निभा ही रहे हैं क्योंकि
अब उन्हें भुला पाना भी हमारे बस की बात नहीं "
No comments:
Post a Comment