Friday, February 28, 2014

 "हमें यह मलाल था कि हम ही सुलगी हुई लकड़ी की
 तरह  धीमा - धीमा उसकी यादों  में जला करते हैं
 पर दिल को तसल्ली हुई आज यह जान कर कि
 वो भी हमारी यादों में दिन रात घुला  करते हैं "  

Wednesday, February 19, 2014

"बहुत ढूंढा किये हम अपना खोया हुआ वजूद  
 पाया भी तो कहाँ वहीं उसके ही साये में "
"डर था हम उससे बिछुड़ने के बाद कहीं  रहें न  हमेशा तन्हा
पर उसकी यादों ने हमें उसकी तरह नही रहने दिया कभी तन्हा "

Tuesday, February 18, 2014

उसकी यादों के भँवर में अक्सर हम खुद को घिरा हुआ पाते हैं
क्यों रह - रह कर हम  उसमें फंसते हैं और फिर बाहर निकल आते हैं "

Wednesday, February 12, 2014

"तुम हो मेरी किस्मत में यह हम तो कब का मान बैठे थे
यह बात और है तुमने यह मानने में ज़रा देर कर दी "

Tuesday, February 11, 2014

तुम्हारी याद

"क्यों जब भी कुछ सोचती हूँ 
  तुम ही याद आ जाते हो 
  जबकि एक अरसा हो गया 
  तुम्हें मुझे भूले हुए 
  मैं चाहती हूँ तुम्हारी तरह 
  निष्ठुर बनना लेकिन नही बन पाती 
  चाहती हूँ तुमसे दूर  जाना 
  पर मन ने कहाँ मेरी सुनी है 
  पहले जो आज भी सुनता  
  मैं तो  भी आज वहीं हूँ 
  जहाँ  तुम मुझे छोड़ कर गये थे "

Monday, February 10, 2014

"तुम्हारे ही सपने देखती हैं जब मेरी आँखे
फिर तुम्हे सामने पाकर झुक क्यों जाती हैं "
"हमारी ही नींदे चुरा कर क्यों वो
 अब हमारे ही ख़वाब देखते हैं "