"क्यों जब भी कुछ सोचती हूँ
तुम ही याद आ जाते हो
जबकि एक अरसा हो गया
तुम्हें मुझे भूले हुए
मैं चाहती हूँ तुम्हारी तरह
निष्ठुर बनना लेकिन नही बन पाती
चाहती हूँ तुमसे दूर जाना
पर मन ने कहाँ मेरी सुनी है
पहले जो आज भी सुनता
मैं तो भी आज वहीं हूँ
जहाँ तुम मुझे छोड़ कर गये थे "
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