Friday, December 31, 2010

नया साल

नया साल नया दिन,
नयी सुबह और नयी हैं उमंगे,
और दस्तक देता नया सफ़र,
कहते हैं हम हर साल,
क्या कुछ नया होता है
हम सभी की जिन्दगी में,
फिर भी नयी उम्मीद के साथ,
जुटते हैं कुछ नया कर गुजरने की चाह में,
और फिर एक साल बीत जाता है,
इसी इंतज़ार में साल दर साल बीतते जाते हैं,
उम्र बड़ी और जिन्दगी छोटी होती जाती है,

लेकिन फिर भी हम यही कहेगें
नया साल नया दिन,
नयी सुबह और नयी हैं उमंगे,
और दस्तक देता एक नया सफ़र,
आये हम सभी की जिन्दगी हर बार हर साल.

Wednesday, December 29, 2010

दिल के रिश्ते

ये दिल के रिश्ते भी कुछ अजीब हैं,
जो जुड़ जाते हैं कब ? कैसे ? और किससे ?,
खुद दिल को ही नही चलता पता,
इसका अहसास बहुत ही मीठा होता है,
जो किसी से बयाँ भी नही किया जा सकता,
दिल से दिल जुड़ने की कोई उम्र नही होती,
क्योंकि कहते हैं ना दिल तो पागल है,
दिल दिवाना है, और दिल तो बच्चा है,
लेकिन ये दिल नाम का बच्चा अच्छे - अच्छे लोगों
को अपनी ऊँगली पर नचाता है,

कब कैसे कोई इसकी गिरफ्त में आ जाये,
कुछ भी कहना मुश्किल है,
वो खुश नसीब हैं जो इसकी पंहुच से परे हैं,
क्या यह सच है, नही अगर ऐसा होता
तो हर कोई बेचैन नही होता है,
दिल लगाने के लिए.
दिल से दिल का रिश्ता जोड़ने के लिए
जबकि दिल के रिश्ते भी कुछ अजीब हैं.
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Tuesday, December 28, 2010

फेसबुक पर मेरा सफ़र

एक वर्ष पूरा हुआ इस फेसबुक पर मेरा यह सफ़र,
कुछ अच्छा रहा, कुछ आहत हुई , कुछ मित्रों से मित्रता हुई,
कुछ सच में दोस्त साबित हुए, और कुछ ने फ्लर्ट किया,
तो कुछ विशेष दोस्त भी बने,
कैसी है यह फेसबुक ? कैसी है सोशल नेट्वर्किंग साईट,
हमारे पड़ोस में कौन रहता है हमें नही मालूम और घंटो में हम इसके साथ बैठे बतियाते रहते हैं,
है क्या सच में यहाँ हम दोस्त बनाते हैं,या बस अपना टाइम पास करते हैं,
और कभी - कभी अपने अकेलेपन से घबरा कर,
अनजान इंसान से अपने सुख - दुःख बांटते हैं,
अब गुज़र रहा है सन् २०१०, और आ रहा है सन् २०११,
तो आइये दोस्तों हम सब इसका स्वागत करे,
और इसी तरह जारी रखे फेसबुक के अपने इस सफ़र को.

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