कुछ अहसास
Thursday, August 31, 2017
कुछ लम्हों
कुछ लम्हों की बात थी कुछ पल का ही साथ था
बिता दी मैंने सारी जिंदगी एक उसके ही जिक्र से
इश्क़ की इबारत
चन्द लम्हों के लिए ही सही इश्क़ की इबारत में
मेरा भी जिक्र आयेगा उसके नाम के साथ
मोहब्बत ही मोहब्बत
बेबुनियाद नहीं है मेरे इश्क़ की इमारत
नींव में इसकी मोहब्बत ही मोहब्बत है
उसके इश्क़ में
कुछ तो रुसवा हुए हम वैसे ही उसके इश्क़ में
कुछ उसने हमें कर दिया बेगाना कह कर
हिचकियाँ
ना होना तू ख़फ़ा हिचकियाँ तुझे ताउम्र ही आयेंगी।
हम उम्र भर तेरा नाम लेकर तुझे सतायेंगे ।
तेरी खुशी
तेरी खुशी के लिये हमने खुद को बदल दिया
हुआ क्या ऐसा जो फिर तू ही बदल गया
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