Tuesday, April 29, 2014

"ना सोचा था कि इस तरह तुमसे बिछुड़ना होगा
अब सोचते हैं कि जो हुआ शायद अच्छा ही हुआ "
"किये तो थे बहुत सारे वादे तुमने
  जब निभाने का वक्त आया
 तो ऐसे भागे की देखा भी नही
  पीछे मुड़ कर एक भी बार " 

Monday, April 28, 2014

"अब बार -- बार
 नही होगा ऐसा
जब तुम चाहे आओ और
जब चाहे जाओ
अब तुम छोड़ो मुझे
मेरे हाल पर
अबकी बार जो गये हो
तो वापस आना नही
मेरे पास " 
"एक बार फिर तुम गये
 मुझे अपमानित करके
मेरे चरित्र पर ऊँगली उठा कर
क्यों होता है हर बार ऐसा
मेरा दिल दुखाते हो
माना मैं बहुत अच्छी नही
लेकिन क्या कुछ भी अच्छा
नही मुझमें "

Friday, April 25, 2014

"हम इतराये से फिरते थे अपने हुस्न पर पर जबसे देखा उसे
 सब कुछ भूल गये दीवाने बन बैठे उसके जैसे जादू सा कर गया कोई "

Thursday, April 17, 2014

"अब तुम्हें भूल सकते नहीं हम खुद को तो पहले ही भुल चुके हैं तुम्हारे प्यार में " 

Tuesday, April 15, 2014

"मझधार में ही छोड़ कर चला गया वो मुझे अकेले
 पर जाते - जाते उसने मेरा इतना तो ख्याल रखा
 यह सोच कर कि त्तन्हा जिंदगी का सफर कैसे काटूँगी 
  अपनी सभी यादों को छोड़ गया पास मेरे "

Friday, April 11, 2014

"वो अक्सर तंज़ करते हैं कि रस्म ऐ उल्फत की अदायगी
 हमारे बस की बात नहीं हम कैसे उन्हें बताये कि
 रस्म ऐ उल्फत तो हम निभा ही  रहे हैं क्योंकि
अब उन्हें  भुला पाना भी हमारे बस की बात नहीं " 

Thursday, April 10, 2014

"हसरत थी दिल में कभी किसी से दिल लगायेगें हम भी 
  पर ये न सोचा था कि क्या करेगें जब दिल टूटेगा  
  दिल का दर्द आँखों से बहेगा 
 कह भी न सकेगे किसी से हाले दिल अपना  
 तड़पेंगे अकेले में फिर भी उसे ही दुआये देगें
 जिसने ये हाले  दिल हमारा किया "     
"तुम्हे सोच कर ही बढ़ जाती है जो मेरे चेहरे की रौनक
 गर तुम करीब आ गये किसी रोज़ तो सोचो क्या होगा "
"मौसम के मिज़ाज़ की तरह तो बदलना अच्छा है 
मगर पल पल बदलना कहीं तेरी फितरत तो नहीं "    
" अश्क़ बहाना भी मंजूर नही मुझे और तुझे भुलाना भी 
अब जज्ब कर लिए हैं सारे ज़ज़बात अपने अन्दर मैंने "

Monday, April 7, 2014

"तुम मिलो या न मिलो पर  हम हर मोड़ पर तुम्हारा इंतज़ार करेगें 
तुम आओ या न आओ खवाबों में हम  हर रात तुम्हारा  इंतज़ार करेगें "

Friday, April 4, 2014

"अब तो बस यह ज़िद है कि तुम्हे अपना बनाना है 
क्योंकि हम तो कब के तेरे हो चुके हैं "
"मुझे आदत तो है अपने आप में ही खोये रहने की पर तुम क्यों खामोश हो, 
मुझे तो नशा है तुम्हारी मोहब्बत का पर तुम्हारी आँखे लाल क्यों हैं "