Saturday, December 28, 2013

"जा रहा है अब यह साल अपनी कुछ खट्टी मीठी यादों के साथ  
 नया साल दस्तक दे रहा कुछ नयी उम्मीदों के साथ
 क्या खोया क्या पाया हमने इसमें 
 यह सोच कर आँखे तो नम होती ही हैं 
 स्वागत करें नये वर्ष का यह सोच कर 
 जो हसरते बाकी हैं दिल में वो पूरी हों भविष्य में " 

Thursday, December 26, 2013

"उसके किये वादे के टूटने पर अक्सर हम नाराज़ होते हैं 
उससे हुई मुलाक़ात को आखिरी मुलाक़ात का नाम देकर 
फिर ख़ुशी से उससे दूसरी, तीसरी मुलाक़ात कर 
खुद से ही किया हुआ वादा तोड़ कर 
क्यों हम अपने टूटे वादे को मोहब्ब्त का नाम देते हैं"

Thursday, December 19, 2013

"तेरे ख्यालों में डूबे रहे हम कब  दिन बीता 
 इसकी भी हमें खबर नहीं
क्यों मुंतज़िर हैं हम तेरी एक नज़र के
बता दे हमे क्यों तुझे देखने के बाद
हमे अपना भी होश नहीं " 

Tuesday, December 17, 2013

"मेरी मुहब्बत बस तुम ही हो
 तुम्हे याद कर महकती - बहकती हूँ मैं
 तुम्हे याद कर हंसती - रोती हूँ मैं
 तुमसे मेरी जमीं तुमसे ही है आसमाँ
 तुमने ही सपने देखने सिखाये
 और तोडा भी उन्हें तुमने ही है"
 

  

Monday, December 16, 2013

"आज फिर नम आँखों से हमने उसे याद किया
 काली स्याह रात का मंज़र दिल को झकजोर  गया
 जिसे सोच कर ही काँप उठती है रूह हर किसी की
 उस अत्याचार को कैसे तुमने बर्दाश्त किया "


  

Thursday, December 12, 2013

"इस कदर बढ़ जायेंगी उनसे नजदीकियाँ हमारी ये हमें भी इल्म न था
 अब जब सोचते हैं तो खुद से भी घबरा जाते हैं हम " 

Tuesday, December 10, 2013

"एक तेरा ही जिक्र है हवाओं में, एक तेरा ही चेहरा है मेरी आँखों में
 महकती रहती हूँ मैं हर दम तेरे ही प्यार का इत्र लगाये हुए"   
"क्यों  करने लगे हम तुमसे प्यार यह हमें पता नही
लेकिन प्यार करते हैं बेशुमार यह हमें है पता "
"यूँ तो कोई शिकवा नही किया हमने जिंदगी से  कभी भी
 लेकिन  क्या करे तुम्हारे बिना जीने में कोई भी मज़ा नहीं "

Friday, December 6, 2013

  "क्या मैं चाहूँ इस जिंदगी में अब  तुझे  चाहने के बाद
   रब से मैं क्या दुआ मांगूं दुआओं में तुझे माँगने के बाद"  
  "खुदा की मेहर से मिला है वो  दुआओं के बाद पाया है उसे
   जतन से संभाल कर रखूंगी उसे एक अनमोल नगीने की तरह"  

Thursday, December 5, 2013

"दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चले कहा था तुमने कभी ऐसा
 फिर क्यों दो कदम भी तुम साथ चल न सके मेरे " 
"मिले तो थे बस उससे खवाबों में ही फिर क्यों अपनी तकदीर बना लिया
  कब और क्यों किया हमने ऐसा उसे अपनी जिंदगी बना लिया "
"उससे मिलना भी इतेफ़ाक था और उससे जुदा होना भी 
  यही इत्तेफ़ाक मेरी जिंदगी को सात रंगों में रंग गया "