Monday, September 28, 2015

"इतना तो यकीं था हमें खुद पर कि
 यादें उसे वापस खींच लायेगीं हमारे पास
पर इसका नही इल्म था कि वो फिर चला जायेगा
कुछ कड़वीं यादें हमें सौप कर " 

Friday, September 11, 2015

जागूँ या सोऊँ बस चाहूँ तुझे ही देखना 
चाहूँ तुझे ही आँखों के करीब रखना 
तू न चाहे फिर भी मैं देखूँ 
तेरे ही सपने दिन रैना