Friday, August 21, 2015

 "दिवानगी तेरे प्यार की इस कदर है मुझ पर छाई
तू नही है साथ मेरे फिर भी जमाने से किया जिक्र तेरा "
"क्यों आये पास तुम मेरे जब तुम्हें दूर जाना ही था
क्यों  दिल में प्यार जगाया जब दिल तोड़ना ही था
फूलों के ख़्वाब क्यों दिखाये जब काँटों पर चलाना था
क्यों किया वादा जब वादा निभाना ही नहीं था "





Saturday, August 8, 2015

बदली जिंदगी मेरी

कुछ इस तरह से तुमने बदली जिंदगी मेरी
आने से पहले तुम्हारे थी बड़ी ही सूनी यह
 सब कुछ होकर भी कुछ कमी सी थी इसमें
तुम साथ अपने लायें वो बहारें वो खुशबुएँ
कि महक गयी जिंदगी मेरी
और कुछ इस तरह से तुमने बदली जिंदगी मेरी
फिर जो शुरू हुआ सिलसिला प्यार में डूबने का
रूठने मनाने का , बात बात में तुम्हारी बातें,
 तुम्हारी यादें, तुम्हारी खुशबु जो महका
देती थी मेरे तन - मन को
फिर एक बार तुमने बदली जिंदगी मेरी
लड़ झगड़ कर हम हमेशा पास आते थे
कभी तुम तो कभी मैं पहल करती थी
लेकिन इस बार नही हुआ वैसा
जैसा कि हर बार होता था
न तुम आये न ही मैं आगे बढ़ी
फिर कुछ इस तरह  तुमने बदली जिंदगी मेरी