Thursday, July 31, 2014

दूर होता है हर गम धीरे - धीरे
यादें भी धुंधली पड़ जाती है
आता है जीवन में कुछ ऐसा वक्त भी
जीना मुश्किल होता है जिसके बिना कभी
फिर सुकून देता है उससे दूर रहना भी
लगता है ऐसा भी कभी
नही है हमारा उसके सिवा कोई
लेकिन फिर संभल ही जाता है
टूटा हुआ दिल भी "

अब दिल की नही सुनेगें हम

"अब दिल की नही सुनेगें हम
 बहुत सुनी हमने इसकी 
 पर इसने एक नही सुनी हमारी 
 अब सुनने की बारी है इस नकारे की 
 बहुत सताया, तड़पाया है इसने हमें 
 यह कह कर उसे याद करो 
 जलो रात दिन उसकी यादों में
 बहुत हुआ इसका जुर्म हम पर 
 मिला क्या इसकी सुनकर 
 सिर्फ दर्द और ज़लालत 
 क्यों सुनते हैं हम इसकी 
 जब यह किसी की भी नही सुनता 
 वैसे भी आज तक किसी को कुछ मिला है 
 जो मुझे मिल जाता "


Wednesday, July 30, 2014

 "गर भुलाना इतना आसान होता बीती बातों को, तो सबसे पहले उसे ही हम भुला देते
 गर मिटाना आसान होता यादों को तो दिल गवाह है हम दिल ही मिटा देते जिस्म से  "
"अब दिल नही करता है कि उसकी बातों पर हम करें यकीं
  लेकिन दिल तो दिल ही है बहलावे में आ ही जाता है "

Tuesday, July 29, 2014

" अपने दिल में छुपा कर उसकी धड़कनों को सुनते है
  अपनी आँखों में बसा कर उसके ही सपने बुनते  हैं
    जिस तरह चुराया है उसने चैन मेरा
  सोचते हैं कभी तो हम भी उसे ऐसे ही तड़पाये "

 "एक चाँद आसमान में देख कर  सबने एक दूसरे को बधाई दी ईद की
 एक चाँद है वो मेरा प्रियतम जिसे देखकर हर रोज़ ही मेरी ईद होती है "  

Monday, July 28, 2014

 "दिल में एक आरजू सी जगी है
 तू हो पास मेरे बस यहीं 
 ना जा मुझसे तू यूं दूर बार - बार
 आकर बस जा मेरे में कहीं "    

Wednesday, July 23, 2014

   "उसका जैसा कोई दूसरा नही मिला मुझे आज तक  
  गर कहीं ऐसा होता तो फिर मुझे उससे दूसरी बार प्यार हो जाता "
 "राहें जुदा हो गयी तो क्या 
 तसव्वुर में तो उसका ही ख्याल है " 

Tuesday, July 22, 2014

"मेरी रूह में बस गया है वो इश्क़ सा
 निकलेगा अब तो वो मेरी जां के साथ"

Monday, July 21, 2014


कभी तो हम भी उनकी निगाह ए गुफ़्तगु हुआ करते थे 
वो भी एक दौर था 
और अब आज हमारा जिक्र तक  उन्हें मंजूर नही  
यह भी एक दौर है 
कभी तो वो भी दम भरा करते थे हमारी चाहत का
आज दूर हैं हमसे तो क्या गिला 
इस राह ए सफ़र में अजनबी  हमसफ़र बनते हैं 
राहे गर बदल जाए तो क्या गिला 



 "क्यों सपनों में ही महसूस करे हम उसकी महक 
 क्या रूबरू उससे कभी मुलाकात नही होगी हमारी" 
"तू रहे ताउम्र सलामत कोई भी गम न तुझे कभी सताये 
 लगे जो ठोकर कभी कोई तुझे मेरी याद न आये "


Tuesday, July 15, 2014

"जी चाहता है छुपा के सबसे
उसे अपने दिल में बसा कर रखूँ
हाथों में लेकर उसका चेहरा दिन भर निहारूँ
छोटी से छोटी अपनी सब बाते मैं उसे सुनाऊँ
तंग करूँ उसे फिर जब वो नाराज़ हो
प्यार से गले में डाल कर
अपनी बाहें उसे मनाऊँ
सावन के इस महीने में
 वो पास हो मेरे
बस इतना सा ही मैं चाहूँ  "  

Monday, July 14, 2014

मैं जमाने से ख़फ़ा नही 
बल्कि खुद से ही खफा हूँ 
कि क्यों मैं उसके 
बनाये हुए रास्तों पर 
चल नही पायी 
क्यों मैं उसके मुताबिक 
खुद को ढाल नही पायी " 

Saturday, July 12, 2014

" दिल में बसाया तुझे 
  ख्वाबों में सजाया तुझे 
  वक्त का तकाज़ा कह कर 
   बदल गया तू 
  फिर भी अपनी दुआओं में 
  शामिल किया तुझे "


 "खुदा समझ कर पूजा की  जिसकी बरसों हमने
 वक्त के साथ इल्म हुआ कि वो तो पत्थर का टुकड़ा भी नही था " 

Tuesday, July 8, 2014

"भूलने की आदत है मेरी यह कभी उसने कहा था मुझसे
  जबकि उसने तो मुझे हमेशा के लिए ही भुला दिया " 

Monday, July 7, 2014

"जिसकी यादों ने जीना मुहाल किया था मेरा कभी
 वही शख्स आज फिर मेरे रूबरू आ गया" 

Friday, July 4, 2014

"धीरे - धीरे खुद को आज़ाद कर रही हूँ मैं उसकी यादों से
   नही जानती  फिर  क्यों अब आँखे नम हैं मेरी "

Wednesday, July 2, 2014

"अब उसकी यादों के बिना जीना सीख लिया हमने
 यह क्या अभी फिर उसे याद किया हमने "