Sunday, August 31, 2014

"उसे याद करूँ या न करूँ
 उसकी यादें खुद ब खुद
 चली आती हैं मेरे पास
 यह कहने के लिए
 जितनी तू उदास है
 उतना ही वो भी गुमसुम
 है तेरे बिना फिर क्यों
 तन्हा से लगते हो दोनों
 जबकि एक कश्ती के
 दो मुसाफिर तो हो" 

Friday, August 29, 2014

"मेरी सुबह - शामों में जिक्र तेरा मेरी रात - ख़्वाबों में भी हुआ जिक्र तेरा 
 दिन के हर पल में जिक्र तेरा और किया मेरी साँसों ने भी जिक्र तेरा "

Wednesday, August 27, 2014

"सबसे प्यारा अहसास है यह मेरा
  उसकी यादों में डूब कर
  जी भर उसे प्यार करना
  वो चाहे या न चाहे मुझे
  उसे कुछ भी  बताये बिना
 चुपचाप उसे प्यार करना "
"कुछ सुख के कुछ दुःख के
  ये हैं मेरे अपने कुछ अहसास
 इन्हें जिया भी है मैंने, खुद ने
 वैसे भी अपने अहसासों को तो
हर कोई खुद ही जी सकता है "

Saturday, August 23, 2014

"जब रहना ही है तुम्हे मेरे दिल और दिमाग में
तो क्यों तड़पाते हो दर्द देते हो मुझे रात दिन
 क्यों नही आते हो पास मेरे
 क्यों दूर रह कर ग़िला करते हो मुझसे
 तुम और मैं हम बन जाए
 करो कुछ तो ऐसा भी  कभी मेरे लिए " 

Thursday, August 21, 2014

"सोचा था कभी न कहेगें हम उससे अपने दिल की बातें
 पर मुझे देखते ही वो मेरा सब हाले दिल जान गया "

Saturday, August 16, 2014

"दिल को बस उसी की है चाह
 सोचा कई दफ़े कि
 उसे जाकर मैं यह कह दूँ
 पर सोच कर डरता है यह दिल
 गर उसने इंकार कर दिया तो "

Wednesday, August 13, 2014

 "तड़पता है वो अक्सर मेरी यादों में मुझे है यह पता 
 पर कभी भी वो मेरे करीब नही आयेगा 
 क्योंकि उसने मुझे भी अपने साथ 
 तड़पाने की कसम जो खायी है "

Monday, August 11, 2014

तेरी इबादत की है हमने रब से भी ज्यादा
क्योंकि दिल ने तुझे अपना खुदा जो माना है"

"तुम्हें अपने मुक़ददर में हमने लिख लिया
  अब जो भी होगा अंजाम देखा जायेगा "

Saturday, August 9, 2014

राखी का पावन त्यौहार

भाई - बहन का वो प्यार
 वो लड़ना - झगड़ना
 यूं तो याद आता है
 हर बार
 पर राखी में
 भाई से दूर होने पर
 आँखे तो नम होती हैं
 पर दिलों को और
 भी करीब लाता है
राखी का यह पावन त्यौहार

Friday, August 8, 2014

"कुछ तो खूबियाँ होंगी ही उस जालिम में
 जो वो आज मेरे नही उसके करीब है "
"उसकी आँखों में नमी देखी है मैंने
 किसकी यादों का असर है यह "   

Wednesday, August 6, 2014

"जब से सुनी है हमने इस दिल की बात एक बार
  तब से यह हमारी सुनता है नही
 याद करता दिन रात है किसी दूसरे को
  और दर्द में तड़पना हमे पड़ता है "

"दिल लगाने का गुनाह गर हुआ है इस दिल से
 तो तड़पने की सज़ा का हक़दार भी होगा यह "

Monday, August 4, 2014

"जिस दिल में तुम्हारी चाह होगी
  मिलने के लिए राह बना ही लेगा
 क्या बैठना उसके सामने जिसके
 दिल के तुम तलबगार ही नही "

Friday, August 1, 2014

"क्यों रुसवा करे हम उसे गर वो हमारा हुआ नहीं 
  ख़ता तो हमारी ही है जो हम उसके हो गये "