"उसे याद करूँ या न करूँ
उसकी यादें खुद ब खुद
चली आती हैं मेरे पास
यह कहने के लिए
जितनी तू उदास है
उतना ही वो भी गुमसुम
है तेरे बिना फिर क्यों
तन्हा से लगते हो दोनों
जबकि एक कश्ती के
दो मुसाफिर तो हो"
उसकी यादें खुद ब खुद
चली आती हैं मेरे पास
यह कहने के लिए
जितनी तू उदास है
उतना ही वो भी गुमसुम
है तेरे बिना फिर क्यों
तन्हा से लगते हो दोनों
जबकि एक कश्ती के
दो मुसाफिर तो हो"
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