एक तेरे ही इरादे डगमगा गये
हम तो आज भी उसी मोड़ पर खड़े हैं ।
जहाँ तुम हमें छोड़ गये
अब क्या गिला शिकवा किसी से
तुम ही अपना मुकद्दर हमसे तोड़ गये।
हम तो आज भी उसी मोड़ पर खड़े हैं ।
जहाँ तुम हमें छोड़ गये
अब क्या गिला शिकवा किसी से
तुम ही अपना मुकद्दर हमसे तोड़ गये।