कुछ अहसास
Thursday, September 26, 2019
आधे अधूरे
तुझसे दूर रह कर भी तुझमें ही खोये रहते थे
हम तेरे बिना आधे अधूरे थे हम तुझसे मिलकर अब पूरे हो गये हम
तू ही हकीकत
तू भाया जबसे नज़रों को
दूसरा इन्हें कोई भाया नहीं
तू ही हकीकत है मेरी तेरे सिवा
दूसरा मेरा कोई फ़साना नही
हम साथ कैसे
तू रात सी खामोश और मैं दिन सा चंचल
एक के जाने के बाद जब आता है दूसरा
तो होते हम साथ कैसे
रिश्ता
तेरा मेरा रिश्ता है गहरा खुदा की इबादत में भी दिखता है तेरा चेहरा ।
ख़्याल
"क्यों रखते नहीं ख़्याल वो बस मेरे ही ख़्याल का
हमें रहता है हर वक़्त मलाल बस इसी सवाल का "
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