Friday, October 19, 2012

"माँगा उसे ही रब से हमने अपनी दुआओं में "
" जब से बसी है उसकी छवि मेरी आखों में 
कोई दूसरा चेहरा नज़रो को भाता ही नही"

 "बस एक बार निगाह भर कर तो देख मुझे 
 तेरी निगाहों में मेरी ही तस्वीर बस जायेगी "

Friday, September 28, 2012

"हुआ एक दिन कुछ ऐसा 
जो नही सोचा था कभी वो बात हो गयी ,
जिन्हें देखा था कभी ख्वाबों - ख्यालों में 
उनसे ही रूबरू मुलाक़ात हो गयी"
"निगाहें भी न मिली  थी और जी भर कर देखा भी न था 
फिर कैसे उनकी चाहत का नशा इस कदर मुझे हो गया "

"उसकी यादों में हम इस कदर डूबे कि सुबह से रात कब हुई हमने पता ही नही चला"


"दिन  भर  उनकी  बातों को बार - बार  याद करते हैं हम और रात में इस इरादे से
  जल्दी सो जाते हैं की आज खवाबों में ही शायद उनका दीदार  हो जाए "

"यह मलाल है हमें क्यों कर हैं बेपरवाह वो हमसे,
होते होंगे लाखों फ़िदा उन पर लेकिन हमसा कोई भी नही"

" अब बार - बार मरने को जी चाहता है क्योंकि 
उसकी मोहब्बत में मर कर हमें जीना रास आ गया "
" कभी अपनी जुबान से भी तो कुछ कहें
  कब तक हम उनकी नज़रों की भाषा समझें "
  
तेरी यादों ने चुरा ली हैं मेरी नींदें अब,
जागी आँखों से तेरे ख़्वाब मैं देखूँ कैसे |
" क्यों नही रहा है मुझ पर मेरा ही अख्तियार 
  कहीं यह काले जादू का असर तो नहीं "
"जब - जब सोचा बस तुझे ही सोचा खवाबों में ही देखा तो बस तुम्हे ही 
यह हकीकत है या है मेरे मन का वहम लगता है जैसे तुम मेरे पास ही कहीं हो "
" तमाम उम्र हम देखेगे उनका रास्ता यह हमने भी सोचा है
 और तमाम उम्र वो हमे तरसायेगे शायद कुछ ऐसा ही उन्होंने भी सोचा है"  
"हमें आदत है उसकी यादों में डूबे रहने की
जबकि उसे आदत है हमें ही भूल जाने की "
"यह मौसम का जादू है या  उसका अहसास छू गया है मुझे 
 सुहाना ही सुहाना नज़र आ रहा है सब मुझे " 
" सपनो से परे भी तो कभी रूबरू आकर भी मिल 
 बता तो सही क्यों तूने मेरी रातों की नींदे उड़ा रखी हैं " 
" क्यों ढूंढती हैं ये मेरी निगाहें बस तुझे ही 
जबकि तू ने ही तो मेरा दिले सुकून छीना है "
"जिंदगी यूं ही न बीत जाए कहीं उसके बगैर
यह सोच कर बहुत दिल घबराता है आज कल " 
"अब मुझे कुछ भी याद नही सिवा उसके, 
बंद और खुली आँखों में उसका ही चेहरा जो समाया है" 
"कुछ याद उसकी ऐसी आयी की  आँखों में नमी और होठों में मुस्कराहट ले आयी "
"तुम यूं हमें पुकारा न करो यूं तुम हमें इशारा न करो 
दूर हैं तुमसे यह मजबूरी है हमारी तुम तनहाइयों हमें यूं तडपाया न करो"
"क्यों रखते नहीं ख्याल वो बस मेरे  ही ख्याल का,
हमें रहता है हर वक्त मलाल बस इसी सवाल का " 
"उनके ही ख्यालों में डूबे बैठे थे हम ख्यालों में खोया देख कर हमसे ही नाराज़ हो कर चले गए" 

Friday, July 20, 2012


"दिल को ठेस लगने पर दर्द तो होता है जरुर, 

पर कुछ कुछ न कुछ सबक भी सीख ही लेता है इंसान "
"जब भी याद किया तुम्हे मेरे दिल ने 
मन एक मीठा सा गीत गुनगुनाने लगा "
" सपने तो सपने ही  होते हैं कहाँ होते अपने  हैं, 
फिर भी यह बावरा मन क्यों इन्हें अपनी आँखों में सजाता है "

"जब भी कुछ सोचा बस तेरे ही बारे में सोचा और जब यह सोचा कि अब कभी भी तुझे याद नही करेगे,
 तब भी तुझे ही सोचा रातों को ख्वाबों में और सुबह  होने पर जब ख्वाब को याद किया तब भी बस तुझे ही सोचा "
"सोचते हैं जब भी तेरे बारें में,
 लबों पर एक मुस्कान सी बिखर जाती है "

"काश ऐसा हो जाए काश वैसा हो जाए 
यही सोचते - सोचते काश यह जिन्दगी गुज़र जाए " 


"रातों को जागने का सिलसिला बदस्तूर आज भी  है जारी 
क्या करे कोई मेरे ख्वाबों में आकर मेरी नींद भी अपने साथ ही ले गया "
"एक तस्वीर लगाई  थी जो कभी दिल के आईने में 
 क्यूँ वो तस्वीर को अनेकों  टुकड़ों में बाँट गया "
"कुछ आहट सी सुनी है मेरे दिल ने,
  कोई आने वाला तो नहीं  "
"कुछ तो बात होगी अलहैदा मेरे हम दम में, 
 जब सोचा उसे तो कुछ और न सोचा "
"कभी भी नहीं पाया किसी को अपने दिल के,
 करीब जितना की उसे महसूस किया है 

Monday, July 9, 2012

''कभी याद किया उसे भूलाने के लिए और कभी खुद को भूलने के लिए ,
   दोनों ही सूरतों में बस उसका ही नाम लिया "

Sunday, July 8, 2012

यादों पर तो नहीं है किसी का पहरा जब तब यह चुपके से आकर दिल को कुरेद जाती हैं "

Thursday, May 24, 2012

"कभी कुछ तो रहा होगा मेरे और उसके बीच ,
 जो आज भी मेरे सपनों में उसका आना जाना है "
"आहटें सुनाई देती हैं आज भी उसके क़दमों की ,तो दिल कैसे यकीन करे की अब वो यहाँ नही आएगा " 
"कुछ यूं उनसे मोहब्बत  हुई की दिल तो दिल जान भी उसकी हुई " 
" करने लगे हैं तन्हाइयों में हम बातें , यह क्या कोई एहसास है नया सा "
"सोचा था कभी जब उनसे मिलेगें तो
 कुछ दर्द अपने बाटेगे
 कुछ तबियत उनकी पूछेगें,
 वो नही आये क्योंकि उन्हें तो आना ही नही था 
लेकिन उनका इंतज़ार इंतज़ार करते करते हुआ
 कुछ यूं की हम खुद से ही बात करना सीख गये "  
 
"सोचा किये सुबह शाम हम तन्हाइयों में जिन्हें , क्या खबर की वो भी घिरे बैठे हो मेरी यादों में "
"सोचा है अब किसी से भी कोई गिला हम नही करेगें,
चाहिए होगा जब भी कोई जवाब सवाल अब खुद से ही करेगें "
 
"वो बस एक मुख़्तसर सी मुलाकात ही तो थी फिर क्यों उसका नशा आज भी मेरे दिल पर छाया है "

Wednesday, April 18, 2012

"सुकून सा है दिल में अब रातों को नींद भी आती है
कहीं यह मोहब्बत में डूब कर उसे पा लेने की निशानी तो नही "
·
" उनसे मिलने की ख्वाहिश हमे यूं दिवाना बना देगी यह मालूम ना था
जब से उनका दीदार हुआ है होश तब से गुम से हैं "

Wednesday, March 28, 2012

"क्यों भीगती हैं आँखे हरदम उसकी याद में,
जबकि उसे हमारी आंसूओं की कीमत भी मालूम नही"
''सब कहते हैं कि दिल जो कहे वही करो क्योंकि दिल कभी झूट नही बोलता
जबकि दिल का कहा करने पर दर्द के अलावा कभी कुछ मिला नही किसी को "
"हमने सुना है कि अक्सर लोग बदलते हैं मौसम की तरह,
कहीं बदलने का हुनर मौसम ने इंसानों से ही तो नही सीखा "

Thursday, March 15, 2012

"ज़ज्बातों की आँधियों में दिल का जख्मी होना लाजमी है "
"जिसके जिक्र से ही दिल की धडकने बेकाबू हो जाती हैं
क्या होगा अंजाम जो कभी उससे मुलाकात हुई "
"दिल मचल - मचल जाता है जब भी तन्हाई में उसकी याद आती है "
‎"बहुत गुमाँ था उन्हें अपनी चाहत पर
ठोकर लगी तब हकीकत से रूबरू हुए "
‎"बहुत गुमाँ था उन्हें अपनी चाहत पर
ठोकर लगी तब हकीकत से रूबरू हुए "

Friday, March 2, 2012

"दिल के टूटने की सदा सुनाई नही देती यह तो पता था हमें,
लेकिन बिना आवाज हुए दर्द भी होता है यह नही जाना था हमने "

Friday, February 24, 2012

''दोस्ती और दुश्मनी हर किसी से नही होती है गर होती है तो हम इसे बड़ी शिद्दत से निभाते हैं''
''वादों और सपनो की किस्मत में चटक कर बिखरना ही लिखा होता है''
“क्यों होती है हमें जरुरत किसी के साथ की अहसास की,
गर दिल ही नही होता सीने में तब कितना सुकून होता जीने में

Tuesday, February 7, 2012

"उसके प्यार के सहारे हम एक जन्म तो क्या कई जन्म बिता देगें ,
पर एक बार वो कहे तो सही की उनको हमसे प्यार है "
दिल भी धड़का उसकी याद में आँखे भी  नम हुई ,
यह बेकरारी हर रोज़ बस उसी की याद में हुई
"उसको याद कर करके हमने खुद को भुला दिया ,
क्या कमी रह गयी हमारी वफ़ा में जो उसने हमे ही भुला दिया "