Saturday, November 21, 2015

सबब तो मालूम हो

मेरे दिल को दुखाने का सबब तो मालूम हो।     
तेरे दूर जाके पास आने का सबब तो मालूम हो
मेरे प्यार और तेरी नफरत का सबब तो मालूम हो  
 नही बीता दिन एक भी तुझे याद किये बिना   
गर न हो यकीन तुझे मुझ पर              
तेरी हिचकियों का सबब तो तुझे मालूम हो
मेरे जज़बातों में बस तेरा ही अहसास है
मेरे सांसों में घुलता बस तेरा ही इत्र है
अब दूर तुझसे मैं जाऊं कैसे ?
मेरे अफ़सानों में तेरा ही तेरा जिक्र है