मेरे जज़बातों में बस तेरा ही अहसास है
मेरे सांसों में घुलता बस तेरा ही इत्र है
अब दूर तुझसे मैं जाऊं कैसे ?
मेरे अफ़सानों में तेरा ही तेरा जिक्र है
मेरे सांसों में घुलता बस तेरा ही इत्र है
अब दूर तुझसे मैं जाऊं कैसे ?
मेरे अफ़सानों में तेरा ही तेरा जिक्र है
No comments:
Post a Comment