Thursday, March 14, 2013

दरमियाँ

कुछ फासला है तेरे मेरे दरमियाँ 
पहले जैसी बाते न सही लेकिन कुछ तो
अहसास बाकी हैं तेरे मेरे दरमियाँ 
वो बाते , वो यादें , वो शरारत आज भी हैं 
तुम्हे याद हो न हो लेकिन अब भी बहुत 
है ऐसा जिसे याद करके आँखें नम हो जाती हैं 
साथ नहीं हैं लेकिन साथ चलने की तमन्ना 
अब भी बाकी है तेरे मेरे दरमियाँ

Wednesday, March 6, 2013

"क्यों रुसवा होते हैं हम हर बार उसके नाम से  जबकि उसने जाने के बाद पलट कर  बार भी हाल हमारा पूछा नही " 
"कुछ दूर तो साथ चल इस राह सफ़र में ,  ताउम्र तो कोई भी साथ नहीं  देता "
"  पल पल बदलना मेरी फितरत तो नहीं  गर जमाने के रंग  मुझ पर चढ़ जाए तो शिकवा न करना "
"कुछ तो अलग बात है उसमें जो उस पर,
दिलों जान निसार करने को जी चाहता है "
"ये कैसी कशिश है जो उड़ा लाती है तुम तक हमें , तुमने तो कभी प्यार की बातें भी नहीं की "
"तड़पते हैं , जुस्तजू करते हैं, बार - बार उसकी मिन्नतें करते हैं 
क्यों कर जिल्लतें सहते हैं जबकि उसे हमारी कद्र ही नहीं "
"हमें तो आदत हैं उनका यूं ही इंतज़ार करने की 
वो आयें न आयें यह उनकी आदत ठहरी "