Monday, July 21, 2014


कभी तो हम भी उनकी निगाह ए गुफ़्तगु हुआ करते थे 
वो भी एक दौर था 
और अब आज हमारा जिक्र तक  उन्हें मंजूर नही  
यह भी एक दौर है 

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