कुछ अहसास
Monday, February 10, 2014
"तुम्हारे ही सपने देखती हैं जब मेरी आँखे
फिर तुम्हे सामने पाकर झुक क्यों जाती हैं "
1 comment:
विभा रानी श्रीवास्तव
February 11, 2014 at 12:23 AM
शर्म-ह्या गहना पहने प्रियसी
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शर्म-ह्या गहना पहने प्रियसी
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