Friday, November 22, 2013

जुबाँ से अब कुछ हम नही कहते बस दिल ही दिल में उसे याद किया करते हैं
क्या परवाह उसे हमारी  फिर क्यों यूं ही हम बर्बाद हुआ करते हैं 

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