Tuesday, April 9, 2013

" मैं जब भी कभी  सोचती हूँ उसके बारें में 
 मेरे तन - मन में जल तरंग सा बजने लगता है 
 महकने लगती है जैसे रजनी गंधा की सी खुशबू
  और मैं भी चहकती हूँ एक  गौरैया की तरह " 

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