कुछ अहसास
Friday, June 23, 2017
हिचकियाँ
"हम भी हो जाते ग़र तुम्हारी तरह
हिचकियाँ तुम्हें परेशान नहीं करती "
1 comment:
Unknown
June 23, 2017 at 8:54 AM
हिचकियों का क्या कहना सॉसों पर बन आई है...ये याद है या फिर मृगतृशणा,या फिर ये परछाई है..
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