"कुछ मदहोशी सी छायी है
आज फिर याद उसकी
बेतहाशा आयी है
क्यों नही
हमेशा के लिये निकल जाती
मेरे दिल से उसकी यादें
कब तक इस तरह
पल - पल जलना
सोच कर की आज ख़त्म
ही कर दूँ ये किस्सा
जैसे ही मैंने अपनी
आँखों को बंद किया
फिर उसका चेहरा मेरी
बंद आँखों में नज़र आया "
आज फिर याद उसकी
बेतहाशा आयी है
क्यों नही
हमेशा के लिये निकल जाती
मेरे दिल से उसकी यादें
कब तक इस तरह
पल - पल जलना
सोच कर की आज ख़त्म
ही कर दूँ ये किस्सा
जैसे ही मैंने अपनी
आँखों को बंद किया
फिर उसका चेहरा मेरी
बंद आँखों में नज़र आया "
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