Sunday, May 1, 2011

''बदलाव''

''बचपन से सुनते आयें हैं बदलाव है प्रकृति का नियम,
और जो नही बदलते वो वक्त के साथ आगे नही बढ पाते,
पेड़ के पत्ते झड़ते हैं, नये कोपल खिलते हैं
मौसम बदलते हैं, नजरिया बदलता है
और बदलता है लोगों का व्यवहार,
लेकिन किस हद तक समय के साथ बदले
खुद को इंसान कि उसके अपने उससे दूर ना हो जाये.
बदलना ही नियम है गर तो,
बदले इंसान अपने सोचने का नजरिया,
पर न बदले अपने करीबो के प्रति अपना व्यवहार.''

1 comment:

  1. ye sab to meri samaj ke bahar hai vese jo likha hai wo accha hi hoga.

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